आदमी को देख कर डर रहा है आदमी!अ
आदमी की लाचारी पर हंस रहा है आदमी!
आदमी की मज़बूरी पर नाच रहा है आदमी!
आदमी को लूट कर, घर भर रहा है आदमी!
आदमी की नासमझी से रो रहा है आदमी!
आदमी के फरेब से मर रहा है आदमी!
आदमी को मार क़र खुद मर रहा है आदमी!
आदमी की मौत में अपनी मौत देखता है आदमी!
आदमी के जनाजे से भाग रहा है आदमी!
आदमी की मौत में राजनीति करता है आदमी!
आदमी के खून में ममता नहीं दिखाता आदमी!
आदमी हैरान है यह क्या कर रहा है आदमी!
No comments:
Post a Comment