भटकती सांसें
कौन यहां जो तुझको पूछे,
साया नहीं जो तुझको खोजे,
घर वही और वही है स्थान,
पर यहां नही कोई तेरी पहचान।
जब चाहे तब तू रोये,
जब चाहे तब तू मुस्काये,
रात वही है और दिन भी वही,
पर नहीं है कोई तेरा हमराही।
तन भी अपना और मन भी अपना,
है जीवन अपना और सपना अपना,
तू यहां रहे या वहां फिरे,
पर सपने सारे रहें अधूरे।
ओ भटकती सांसें, अब तू ही बता,
कहां है मेरा ठिकाना और कहां है पता।
Labels: Lost love
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