Thursday, 21 March 2019

ख्वाइश नहीं कि नाम हो जाए मेरा



ख्वाइश नहीं कि नाम हो जाए मेरा,
काफी है ये कि साथ मिलता रहे तेरा।
भले लोगों ने मुझको माना भला,
बुरों की नज़र में बनता रहा मैं बुरा।
अपनी-अपनी नज़र से सबने जाना मुझे,
जरूरतों के ही हिसाब से पहचाना मुझे।  
जिंदगी के सफर में सभी अजनबी हैं,  
मगर मेरे दिल में रहते सबके नबी हैं|  
अजीब भागम-भाग कमबख्त ज़िंदगी की,
रात-दिन कभी न मिले वक्त बंदगी की।
जीतता जब कभी तो छूट जाते हैं अपने,
अगर हार जाऊँ तो टूटते सबके सपने।
दरिया की लहरों ने सिखाया सलीका,  
दो किनारों के बीच ही बहना सीखा।
खुद पे ही हँसने का साहस है मुझमें,
कमजोरियों से लड़ने की हिम्मत है मुझमें।   
जल जाते हैं दुश्मन मेरी सादगी से,
किसी को बनाता न जानवर, आदम से।
कलाई मे बंधी घड़ी हमेशा बताती है,   
वक्त तो खिसकता है पर जिंदगी छूट जाती है।
न सबब कोई पूछो घर बसाने का मुझसे,
मशहूर हो रहे हैं मेरी फकीरी के किस्से।
मायूस न होना बचपन को याद करके,
खुश था बहुत तितलियों का पीछा करके।   
हंसती सी जिंदगी में आंसूँ भी छलकते हैं,
बिना जाम के, कदम भी बहकते हैं।
रिश्तों के बोझ में दबाने लगी जिंदगी फिर,
फरेबी से चक्रव्यूह मे, मैं हूँ गया घिर।
मुसकुराये हुए महीनों गुज़र जाते हैं,
झूठी हँसी हँसकर आंसूँ छिपाये जाते हैं।
ज़माने की बेदर्द दौड़ मे हमदर्द नहीं मिलता,   
थकने लगता हूँ देख पुराना घाव रिसता।
हाले-दिल किसी से अब बताया नहीं जाता,
करीब कोइ मिले जिसे हाले दर्द दिखाया जाता।

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