Tuesday, 19 March 2019

हसरत नही मुझे



हसरत नही मुझे, नाम कमाने की,
      आप जांनते हो, बस यहि काफी है।
भलॉ ने भला माना और, बुरॉ ने बुरा माना मुझे,
      जिसका जितना स्वार्थ था, सभी ने उतना माना मुझे।
जिंदगी का सफर भी कितना फरेबी है,
रातें काटते कटती नही, पर जिंदगी गुजर जाती है।
एक कमबख्त सी, भागम-भाग है ये जिंदगी,
      जीत जाओ तो, अपने छूट जाते हैं,
और हार जाओ तो, अपने ही भाग जाते हैं।
      लेट जाता हूँ, कूऐं पर थक कर,
क्यॉ कि मुझे अपनी, औकात भाती है।
      मैंने लहरॉ से सीखा, खोने का सलीका,
हंसते-हंसते खो जाना, हंसते-हंसते वपस आ जाना।
      साहस है मुझमे, मै आपा छुपाता नही हूं,
पर यह सच है, मै फरेबी नही हूं।
      जल जाते हैं, मेरे अंदाज से दुश्मन मेरे,
क्योंकि कभी, ना दोस्त खोये, ना दुश्मन बनाये मैंने।
      एक घड़ी लेकर, कलाई मे क्या बांधी,
कि जिंदगी छूट गयी, और वक्त पीछे पड़ गया।
                सोचा था, घर बसा कर; सोऊंगा सकून से,
पर घर की भागम-भाग ने, फकीर बना डाला मुझे
      सुकुन की बात भूल कर, ऐ इंसा नादान,
बचपन का सुकुन, कभी वापस नही आता।
      जिंदगी की अंधी दौड़ मे, वक्त के साथ, रंग उड़ जाते हैं,
हंसती-खेलती जिंदगी, मे आंसुओं भर जाते हैं।
      एक जमाना था, जब मुस्कराकर उठते थे,
पर अब बिना मुस्कराये, महीनो गुज़र जाते हैं।
      कितने खो गये, ये फरेबी रिश्ते निभाते,
खुद को खत्म कर दिया, रिश्ते निभाते-पहचानते।
      लोग कहते हैं, भाई हंसते बहुत हो,
पर हम खत्म हो गये, आंसू छिपाते-छिपाते।
      ज़माने की बेदर्द दौड़ मे, कोई मेरा हमदर्द नही है,
बेपरवाह होकर भी, सब की परवाह रहती है।
      खुश किस्मत हूं मै, कोई मेरे आंसूऑ पर नही जाता है, 
पर अपने से रिश्ता निभाना, मेरी दर्द भरी दांस्ता है।


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