बर्फ की तरह ठंडे होकर, बेजान जी रहे हम,
मोम के जलते मकान में, अलाव सेक रहे हम।
कोहरे से ढ्के आसमां में, सूरज तलाश रहे हम,
जिहादियॉं के अंगने में, गांधी तलाश रहे हम्।
खाल शेर की पहन कर, जांबांज बन रहे हम,
आतंकियॉं के जनाजे में, मातम मना रहे हम्।
बबूल के कांटॉं में, गुलाब तलाश रहे हम,
मौत के मातम मे, आंसूं तलाश रहे हम्।
शराब की बोतल में, सुकून तलाश रहे हम,
खाली लिफाफॉं में, मोहब्बत तलाश रहे
हम।
फरेब की इस
दुनियां मे, ईमान तलाश रहे हम,
खोये-भट्के राहगीरॉ
से, रास्ता पूंछ्ते रहे हम्।
बंद मकान की दहलीज पर, आहट तलाश रहे हम,
दौड़्ती-भागती जिंदगी में, जिंदगी तलाश रहे
हम्।
जिंदगी की शैतान राहों पर, एतबार तलाश रहे हम,
नसीब में नहीं जो राहें, वहां फरिश्ता तलाश रहे
हम्।
शब्द नही ,आप की तारीफ में क्या कहें हम
ReplyDeleteधन्यवाद भाई ।
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