कोरोना दूसरा बाप है सबका ,
खौफ दिखाता है सबको मौत का ।
संसार में आतंक लाने से पहले ,
मारकाट कर मिटाया
घमंड चीन का ।
जन्म लेते ही मारा बाप चीन को ,
देश, वायु, पानी और वामियौं को ,
मार कर रुलाया-सुलाया
उनको ,
जीते जी मौत का
भय दिखाया उन को।
मौत के आतंक मै
भी मद-मस्त,
उछ्ल कूद रहे थे सारे
फेलची,
मिल गया ओबीएम
नकलची,
जश्न मना रहे सारे
अफीमची ।
नम्बर की बरसात
हुई -सौ में सौ ,
फूल गये-झूम गये, सारे चिलमची,
मिला ऑनलाइन खुदा
फेकची,
जिसने बनाया गधे
को नामची ।
ख़ाईं सबने सौ-सौ इलायची ,
दुनियां को लगने लगी लाल
मिर्ची ।
छूट गये पीछे सारे किताबी
तोपची ,
इम्तहान बन गये मसखरे शेखची
।
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