एक दढ़ियल की दाढी खोटी,
अक्ल पर उसकी मोटी बोटी।
गले में लटकी खूनी टोंटी,
और ज़ुबान पर खूनी पोथी।
आप चीखे, दुनिया को डराये,
और सभी को डंडा दिखाये।
भक्तों ने बुलाया योगी
भगवान,
पकड़ लिया दढ़ियल का कान।
रोता-रोता भागा दढ़ियल,
निकल गयी सारी अड़ियल्।
छोड़-छोड़ मेरे रहमान,
अब ना आंऊ तेरे दरम्यान।
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