Wednesday, 23 January 2019

शहर में जाम क्यों है?


शहर में जाम, आँखों में डर सा क्यों है
इस शहर में पोलिस का नाका सा क्यों है।
शहर में हर शख्स आज डरा सा क्यों है
और रुके ट्रेफिक का आखिर माजारा सा क्या है।
मूर्दौ की तरह, सभी बेजान से क्यों हैं
आँखों हैं , तो डर का कारण तो पुछो।
हर शख्स को एक सवाल का हक़ है,
और हर इंसान को जीने का हक़ है।
सभी सांसे लेकर आये हैं इस जहॉ मे, 
तो सभी को गुनाह पूछ्ने का हक़ है।
कोई तो बोलने की हिम्मत ढूंढें,
पत्थर की तरह इंसान बे-जबान सा क्यों है।
जाम मे फसे फसे, मंजिल कब आयेगी रफीकों
क्यों कि दौड़्ये नजर, सारा श्हर जाम ही तो है।
आज कोई भयावय हादसे का डर सा क्यों है
और शहर को, दहलाने के मंजर का डर क्यों है।  
जिंदा देख हमे आइना हैरान सा क्यों है
दारोगा जी के चेहरे पर पसीना सा क्यों है।
जाम की इस तनहाई मे, मंजिल कब आयेगी रफीकों
जनाजॉ को तो कोई रास्ता दिखाये रफीकों।
फरेबी सेक्यूलरवादी कहते हैं
आतंक का कोइ मजहब सा नही है,
पर एक मजहब नज़र आता है इनमें
ता-नज़र-ये-हद, बताना ही पड़ेगा,  
इबादत का कौंनसा मद है अकिदॉ,
जो गैर मुसलमा के लोथड़े उड़ाता है,
कि इनका खुदा सबको दहलता क्यों है
और इस श्हर को बयाबान बनाता क्यों है।





नोट- यह गाना कवि ने आज तारीख 23 जनवरी 2019 को गाजियाबाद वजीराबाद रोड पर भोपुरा, पसॉडा, गगन सिनेमा पर दो घंटे ट्रेफिक जाम मे फसने के बाद लिखा। इस्लामिक आतंकवादियॉ के भय के कारण आज राजधानी दिल्ली मे पुलिस की नाकाबंदी एवम चैकिंग के कारण सारे शहर को भयंकर ट्रेफिक जाम का सामना करना पड़ा ।




0 Comments:

Post a Comment

Subscribe to Post Comments [Atom]

<< Home