हर रात के बाद एक सुबह आती
है,
जैसे काली घटा के बाद रोशनी
आती है,
हर दुख के बाद एक सुख की
घटा आती है,
और हर कमजोरी के बाद मजबूती
आती है।
इंतजार ना कर ज्यादा, नई सुबह आती होगी,
आंख खोल कर देख, नई रोशनी आती होगी,
हर समय तुझे दिखाई देती
नहीं होगी,
वो कहीं तेरे आस-पास साथ ही
होगी।
ओ मुसाफिर तू
कहीं सफर में भटक रहा होगा,
और अपने कर्मों
को भूल गया होगा,
और काली रात के
खौफ को सोच रहा होगा,
और कभी सुबह भी
आती है, भूल गया होगा।
कभी देख उस काली
रात के दर्द को,
रोक नहीं सकता, बेखौफ मंजर पर जाने को,
विदा होने से
पहले, रोशनी देती है दुनिया को,
डर मत इस मंज़र से, विदा होने दे इस मंज़र को।
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