कोरोना नज्म
वक्त
बहुत बुरा पहुंच जाएगा,
बिना
बुलाए ही आ जायगा,
मत
खोल गंदी परतों को तू ,
 कोई खुदा बचाने नहीं
आएगा।
जमाती
मिशनरी जलसे में बहकायेंगे,
पर
कोरोना के आते भाग जाएंगे,
इसकी आग से ना बच पायेगा तू , 
बचोगे,
तभी मोदी से
लड़ पाओगे। 
नफ़रत
की दुकानें बंद हो जाएगी, 
जमात
की सियासत काम ना आयेगी,
 देश के वास्ते, थूक अंदर ही
रख तू ,
ये
नये खुदा ही तेरी जान बचाएंगे। 
खौफ के मंजर से सूरत बदल जायेगी, 
महफिल में साजों की आवाज बद्ल जायेगी,
अब तो समझ जा ऐ जाहिल तू , 
कोई इबादत तेरे सांस नहीं बचा पायेगी।  



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