Sunday, 19 August 2018

ट्रांस्फर पोस्टिंग का राष्ट्रीय गोरख धंधा

देश मे लगभग तीन करोड़ सरकारी कर्मचारी हैं। इनमे केंद्र सरकार, राज्य सरकार, पब्लिक सेक्टर निगम, (पी.स.यू), बैंक, स्वायत संस्थाऐ,सेना, लोकल संस्थाऐ आदी सम्मलित हैं। परंतु सभी विभाग एवम सस्थाऑ मै एक पोलिसी से सभी त्रस्त, रहते हैं। वह डरावनी पोलिसी ट्रांस्फर पोस्टिंग का राष्ट्रीय गोरख धंधा है।
इसी भृष्ट खेल मे राज्य सरकारै, केंद्र सरकारै, सभी विभाग, सभी संस्थाँयै सम्मलित हैं। प्रति वर्ष लाखौ कर्मचारियौ को बिना किसी कारड़ के इध्रर से उधर फैक दिया जाता है। सरकार का हजारौ-लाकौ करौड़ रुपया व्यर्थ मै ही बरबाद हो जाता है। इसके अतिरिक्त लाखौ-करौडौ का लेन-देन, ट्रांस्फर-पोस्टिंग करवाने और रुकवाने मै होता है। ये देश मै भ्रष्ताचार का खुला एवम सबसे बड़ा  गोरख-धंधा है। पर सभी इसमे सम्मलित हैं, और सभी चुप रहते हैं।
इस ट्रांस्फर पोस्टिंग के खेल मै न तो सरकार और विभाग को कोई लाभ होता है और ना ही कर्मचारी को किसी प्रकार का आर्थिक अथवा प्रशासनिक लाभ होता है। उदाहरण के लिये, अगार बँक मै कोइ ट्रांस्फर होता है तो बँकको उस कर्मचारी को तबादला भत्ता, तबादला अवकाश तथा सामान लाने-ले जाने एवम खरीदने पर लाखौ रुपये का भार उठाना पड़्ता है। कर्मचारी का सारा परिवार अस्त्-व्यस्त एवम डिस्टर्ब हो जाता है। बच्चौ की पढाई-लिखाई, स्वास्थ आदि सभी डिस्टर्ब हो जाते हैं।
लगभग पहला वर्ष उसे अपने कार्य एवम स्थान को समझने मै ही लग जाते हैं। इसके अलावा उसे अपने परिवार को भी अलग से व्यवसथितकरने मॅ उसे अपने संसाधन एवम उर्जा बर्बाद करनी पड़ती है। इसके उपरांत वह बाकी उर्जा एवम संसाधन को पुन: अपनी पसंद के स्थान पर ट्रांस्फर पोस्टिंग के सभी शस्त्रौ का उपयोग करता है।
यहॉ यहा भी सर्वविदित है कि इतना सब होने के बाद भी देश मॅ किसी बैंक की कार्यप्रणाली एवम हालात से कोई भी संतुश्ट नही है। सभी बैकौ की हालत अत्यंत खराब है. तथा उनकी कार्य प्रणाली से कोई भी संतुश्ट नही है। बैकौ की खराब हालत एवम कार्यप्रणाली के पीछे कर्मचारीयॉ को प्रताणित करने वाली ट्रांस्फर-पोस्टिंग की गलत नीतियॉ हैं।
यही हालत सभी बैंक एवम विभागॉ की है। सभी सरकारी विभाग, अर्ध सरकारी विभाग, निगम, आदि इस व्यवस्था से त्रस्त है। बॅकर, शिक्षक,डाक्टर, क्लर्क, इंजीनियर, आदि सभी नियमित रुप से इस व्यवस्था का दंश एवम आतंक झेलते हैं।
ट्रांस्फर-पोस्टिंग इस देश का सबसे बड़ा गोरख-धंधा एवम सबसे भ्र्रष्ट्तम उद्दोग है। सभी इस भ्र्रष्ट्तम उद्दोग को भलिभांती जानते परंतु इसे रोकने का कोइ भी प्रयत्न नही करता है। इस उद्दोग से जहाँ सरकार पर भारी आर्थिक बोझा पड़ता है वही‌ प्रशासन, शासन, एवम विभगॉ की व्यवस्था बिखरकर एकदम चौपट हो जाती है।
इस ट्रांस्फर-पोस्टिंग की व्यवस्था से किसी भी प्रकार का लाभ नही होता है। इससे ना तो कोई आर्थिक लाभ होता है। इससे समाज को भी किसी प्रकार का लाभ नही होता है। अब राश्ट्र एवम समाज के हित मै यह अत्यंत आवशयक है कि ट्रांस्फर-पोस्टिंग की इस व्यवस्था को एक दम बंद कर दिया जाये या इस व्यवस्था मे आमूल परिवर्तन किया जाये।
इस बारे मै, उत्तर-प्रदेश के मुख्य-मंत्री श्री योगी आदित्य नाथ जी की पहल अनुकरणीय एवम सरहनीय है। उत्तर-प्रदेश मै शिक्षकौ के तबादले सिर्फ उनकी मांग एवम आवश्यकता के अनुसार ही होंगे। उनके रुटीन ट्रांसफर अब बंद कर दिये गये हैं। इस्मे सबसे पहली प्राथमिकता महीलाऑ को दी गयी है। महिलाओ को अब हर हाल मे उनकी पसंद के स्थान अथवा उनके परिवार के साथ ही  ट्रांस्फर-पोस्टिंग की जायेगी।
ठीक यही स्थिती, विकलांग और अपंग शिक्षकौ की है। उन्हॅ भी उनके मनपसंद स्थान पर ट्रांसफर किया जयेगा। गम्भीर रुप से बीमार शिक्षकौ को भी उनके मनपसंद स्थान पर नियुक्त किया जायेगा जिससे वो अपने स्वास्थ्य का ख्याल रख सकॅ। सेवानिव्रत होने वाले शिक्षकौ को भी अंतिम नियुक्ति उनकी पसंद के अनुसार दी जयेगी।
इस सारी व्यवस्था मे समपपूर्ण पारदर्शिता है तथा कही भी, किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार एवम भाईभतिजावाद की कही भी कोई गुंजायश ही नही छोड़ी गई है। इससे शिक्षक भी तनावमुक्त रहते हैं तथा वे भी अपने कार्य पर, शिक्षा तथा छात्रौ पर समुचित ध्यान दे पायेगे।
ठीक यही व्यवस्था सारे देश को अपनानी चाहिये। इससे सभी विभागौ मे भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने मॅ काफी मदद मिलेगी तथा कर्मचारियौ की कार्य क्षमता सुधारने मे काफी मदद मिलेगी। सिर्फ भ्रष्टाचार मॅ फसे कर्मचारियौ को यह सुविधा नही देनी चाहिये। इससे कर्मचारियौ को भ्रष्टाचार से दूर रख्नने मे भी मदद निलेगी।
जहॉ एक ओर ट्रांस्फर-पोस्टिंग कर्मचारियौ की कार्य-क्षमता ख्त्म कर रहा है वही दुसरी ओर उसमे व्यापत भ्रष्टाचार समाज एवम राष्ट्र के लिये एक बड़ा खतरा बन गया है। इसके साथ ही साथ, दुर-दरज के क्षेत्रौ मे ट्रांस्फर से कर्मचारियौ का सामाजिक बिख्राव एवम अलगाव सा भी हो जाता है। इस कारण प्रत्येक कर्म्चारी को जहॉ तक हो सके उसके ग्रहा-जनपद मे ही नियुक्ति देनी चहिये। इन व्यवस्थायॉ के लागू करने से अनेक सामाजिक एवम प्रशानिक समस्यायॉ का हल निकाला जा सकता है।
                                                             

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