मूर्खॉ का देश
हम भी एक मूर्खॉ के देश के वासि है, 
श्रीदेवी के निधन पर सभी रो रहे है, 
राश्ट्र अपने आप को रढुआ महसुस कर रहा है। 
पर किसी के पास समय नही,
जो मेजर कुमुद डोगरा के दर्द को समझ सके, 
और उसके ऑसूँ पौछ सकै। 
जो पॉच दिन की बेटी को गोद मे लेकर, 
पति को आंतिम विदाई देती है। 
मेजर कपिल कुन्डू की चिता, 
अभी ठंडी भी नही हुई थी, 
पर देश प्रेम प्रकाश वारियर की ऑख मारने पर, 
पागल हो जाता है और फतवे भी आ जाते है। 
जिहादि आतंकी सोहराबुद्दीन की मौत पर, 
विधवा वीलाप करने वाले लाखॉ गद्दार है, 
पर उसके हाथौ विधवा हुई औरतॉ 
के ऑसूँ पौछने वाला, शायद ही कोइ मिले। 
एक मुठ्ठी चवल के लिये, 
आदिवासी मधु की हत्या हो जाती है, 
पर हजारॉ हत्याऐ करने वाला दाऊद,
पूरे देश का भाई है। 
मेरा देश वाकई महान है, या मुर्ख है, 
कह नही सकता। 
पर श्रीदेवी को अब शंति से सोने दो, 
एक गहरी नीद मॅ, अब वो नही जगैगी, 
उन्हॉ सोने दो, आराम की नीद मै। 
मेरी हार्दिक श्रधांजलि। ओम शंति ओम्। 



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